छत की दीवार से सट कर बैठ गए;
थका मन लेकर,
हमारी साँसे और हम।
मासूम नज़रों ने आसमा की तरफ देखा और
तारों से पूछा
कब हम खुद से इतना प्यार करेंगे?
की, जब दुनिया की परवाह न होगी;
बस हम अपनी मस्ती में मस्त होंगे
सुख दुःख, ढोंग से कोसो दूर होंगे।
क्या वक़्त निकल गया है ...
या कोशिश की एक नन्ही आस रखे रहें हम?
कब हम खुदसे इतना प्यार करेंगे?
की इतना दर्द न सहेंगे हम।
...फिर किसी को इतना न अपना कहेंगे हम
कब हम खुदसे इतना प्यार करेंगे?
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