कागज़ ने पूछा कलम से -
कैसे मान लूं कि,
ये तुम्हारे लिखे शब्द, सच्चे हैं?
कलम ठहरी,
सर उठाया, और कागज़ से कहा -
मैं रंगों की मोहताज नहीं;
जब कभी कोई स्याही खारी लगे....
समझ लेना हर शब्द रूह से निकला हैं
भावनाओं से सींचा हैं।
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