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Sunday, August 4, 2024

कलम का सहारा लेते हैं

कलम का सहारा लेते हैं
जब जज्बात के बांध टूट जाते हैं!

जब अंतर मन में भावनाओं के सैलाब बहते हैं,
एक तरफ किशोर के नगमे तो,
 एक तरफ अपने ही लोगों के गम थे

हाथों से तालिया बज रही थी
पर आँखे नम थी...
उन गीतों से नहीं,
पर किसी अपने के; दबे आंसुओं की चीखों से.

जिंदगी को सर्कस बोलूं या
बहता पानी?
महफिल बोलूं या
एक अनसुलझी कहानी?

कभी खोजते रिश्ते के पैमाने
कभी बस 'साथ चलते' दो दीवाने

माना - खिलते हैं गुल यहाँ 
खिल के बिछुड़ ने को...

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(Happy Birthday Kishor Kumar #Khandwa🎂 - #Prestige Shrihari Khoday Evening show <3, Happy Friendship's day<3,  Pushya Nakshatra/ Hariyali Amavasya 🙏 -Got a chance to plant four trees, Planted 5 soapnut seeds as a experiment) 

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