खामोश सी मद्धम चांदनी रात थी,
देर रात लौटे पिक्चर से...
भूक में पार्सल के कचोरी साथ थी,
घर के दरवाज़े पे पहुंचे, सोचा...
क्यों न दो सीढ़ी और ऊपर चढ़े
आसमा की खुली बाहों में
चाँद की मद्धम चांदनी तले
चाँद को भी था invite
But, भूक मे जाने कब ख़तम हुई सारी bite
बस उठने को हुए थे हम
की चाँद ने बादलों के पर्दो से ली अंगड़ाई
रोशन होगयी छत हमारी
जैसे चांदनी भागकर हमें रोकने को आयी
हम अपने एहसास को बयां नहीं कर पाए...
बस give-up कर बैठे चाँद की चांदनी को
उस बोझल पल में ,
ओझल मन से हम चाँद को एकटक निहारते रहे
धीरे-धीरे न जाने कब सारे बदल छट गए
बस एक मैं और चाँद एकदूसरे को तक रहे
लगा जैसे वो मुस्कुरा रहा हो
कह रहा हो... अभी तो रोशन हुआ है ये पल
कुछ न कहो बस बैठी रहो मेरे संग <3
देर रात लौटे पिक्चर से...
भूक में पार्सल के कचोरी साथ थी,
घर के दरवाज़े पे पहुंचे, सोचा...
क्यों न दो सीढ़ी और ऊपर चढ़े
आसमा की खुली बाहों में
चाँद की मद्धम चांदनी तले
चाँद को भी था invite
But, भूक मे जाने कब ख़तम हुई सारी bite
बस उठने को हुए थे हम
की चाँद ने बादलों के पर्दो से ली अंगड़ाई
रोशन होगयी छत हमारी
जैसे चांदनी भागकर हमें रोकने को आयी
हम अपने एहसास को बयां नहीं कर पाए...
बस give-up कर बैठे चाँद की चांदनी को
उस बोझल पल में ,
ओझल मन से हम चाँद को एकटक निहारते रहे
धीरे-धीरे न जाने कब सारे बदल छट गए
बस एक मैं और चाँद एकदूसरे को तक रहे
लगा जैसे वो मुस्कुरा रहा हो
कह रहा हो... अभी तो रोशन हुआ है ये पल
कुछ न कहो बस बैठी रहो मेरे संग <3
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