दिल चाहे बस कहीं दूर चली जाऊँ… 
या फिर किसी के इतने करीब, कि 'दूरी' से नाता तोड़ जाऊँ..
आँखों में नमी और चौराहे पे हे खामोशी
दिल में है   बस यादें और उन यादों में ज़िन्दगी। 
किसी ने बताया नहीं खामोश उन यादों की भी गूँज होती है,
सीधी चलती ज़िन्दगी में भी उनकी दखल होती है।
ज़िन्दगी का तो काम था बस चलना,
उसके बस में ना था दो पल को रुककर फिर सम्भलन। 
कभी लगा बेबसी से यूँ  जुड़ गया नाता हमारा, 
लगने लगा जैसे हर आज में होने लगा कुछ कल जैसा। 
हर पल मानो एक चुनौती बना खड़ा था मेरे सामने।
मुझसे कहता कब तक रहोगी उन यादो के दामन में,
…ज़िन्दगी के धागे में, कुछ ही वो यादों के मोती होते हैं जो जुड़ जाते हैं। 
खुश-नसीब हो - जो तुम्हारी माला में वो मोती भी है… वरना कई ऐसे भी हे  जो धागो में ही उलझे है।   
कई बार मन चंचल हुआ और साहस टूटा।
कई बार अपनों से दिल ज़ख़्मी हुआ और उनका साथ छूटा।  
तड़प की आँच में मन बस तपता गया। 
कभी इच्छाओं ने हमें मारा तो कभी हमने इच्छाओं को। 
एक पल ऐसा आया ज़ख्मो से भी सुकून मिलने लगा 
होश में भी बेहोशी सा नशा होने लगा.... 
भीड़ की मुस्कुराहटों में - कानो को कोई जानी पहचानी आहट का इंतज़ार होने लगा
नज़रो ने बंद पलकों से फिर किसी बीती बात को याद किया।
एक पल को जागे और एक पल को सो गए...
इन पलों की हेरा फेरी में ज़िन्दगी के कई साल यूं ही जी गए 
कदम बढ़ाना ही था आगे…
ज़िन्दगी से हाथ मिलाना ही था हमें...
हमने भी माना खुश-नसीब हैं हम जो हमारी माला में यादों के मोती है
क्या फर्क पड़ता है.... धागा लम्बा और जिंदगी भरे कुछ ही वो मोती है



