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Monday, March 13, 2017

Moon Delight

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खामोश सी मद्धम चांदनी रात थी, देर रात लौटे पिक्चर से... भूक में पार्सल के कचोरी साथ थी, घर के दरवाज़े पे पहुंचे, सोचा... क्यों न दो सीढ़ी...

हकीक़त

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हक़ीक़त में - देने को कुछ नहीं हमारे पास.. हकीक़तें कभी-कभी 'दीवारें' बना जाती है। लम्हें - जो एक एहसास छोड़ जाते... उनमे से कुछ बा...
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Ruchika
My friend says I am Impossible; I say May be POSSIBLE :)
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