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Saturday, March 12, 2016
मैं टुकड़ा एक रेत सा
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आसमान की चादर तले, मैं टुकड़ा रेत सा... आँखे खुली तो नज़राना था.. नीचे हम; और सारा ज़माना था। नज़रों के सामने बेफिक्र अफ़साना(कहानी) था।...
Sunday, January 3, 2016
गहराईयाँ
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गहराईयाँ समंदर का अस्तित्व झीलों का एहसास वादियों की गूँज इंसान की बुनियाद रिश्तो का साज़ ख्वाबों की जीवन्ता सोच का दर्पण शाली...
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